मतदान एक अधिकार, एक कर्तव्य है
अठारह साल उम्र पूरी कर चुके हर भारतीय नागरिक को मतदान करने का अधिकार है। ( अगर उसे की सक्षम न्यायालय ने पागल नहीं घोषित किया है या फिर भ्रष्टाचार तथा चु्नाव से संबद्ध किसी अपराध के लिए किसी कानून के अंतर्गत उसे मतदान के अयोग्य घोषित नहीं किया गया है)
मतदान करने में सक्षम लोग जिस कारण से मतदान नहीं करते, वह यह है कि उनके विचार में मतपेटी या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से अपनी राय को व्यक्त करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मतदान केवल एक अधिकार नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी भी है।
मतदान एक आध्यात्मिक कृत्य है क्योंकि उन व्यक्तियों पर अपनी राय व्यक्त करने के विकल्प का उपयोग करके, जिनको शासन की शक्तियों को ग्रहण करना चाहिए, आप अच्छे विश्वास में ऐसे व्यक्ति को आपके और दूसरों के जीवन को बदलने की शक्ति से संपन्न कर रहे हैं।
देश में चुनाव आयोग और कोई भी सरकार केवल चुनाव के आयोजन तक ही अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं पर उसका सदुपयोग करना हमारा दायित्व है. आज अगर कहीं पर कोई अनियमितता है तो वह केवल इसलिए है कि हम उसके प्रति उदासीन हैं.
अगर हम अपने वोट का प्रयोग करना सीख जाएँ तो समाज से ख़राब लोगों का चुन कर आना काफी हद तक कम हो सकता है? बिना किसी उचित कारण के वोट न देने वालों पर जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए. केवल आधी आबादी के वोटों से चुनी गयी अधकचरी सरकारें आख़िर कैसे पूरे देश के बारे में सोच सकती हैं?
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