अभी पिछले दिनों हरियाणा में एक ढोगी बाबा ने सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया,गौर करने वाली बात यह है की जो सरकार केंद्र में है वही सरकार हरियाणा में भी है,एक नज़र हम उस घटना पर डाले या सरकार की नाकामयाबियो पर दोनों कहना आज एक सामान लगता है आखिर वहा पर गलती किसकी है और चुक कहे या जन बुझ कर किया हुआ दोनों में बहुत समनाता है, गुरमीत राम रहीम को 2002 के एक बलात्कार के केस में 25 अगस्त 2017 को फैश्ला सुनाया जाने वाला था,हरियाणा पंजाब हाईकोर्ट ने सरकार को इसके लिए तैयार रहने के लिए या कहे तो सुरक्षा के पुरे इंतजाम करने को कहा था,क्योकि हमारे देश में आस्था के नाम पर लोगो को अक्सर जज्बाती होते हुए देखा गया है,जब यह फैसला आनेवाला था तब हरियाणा के पंचकुला में 144 धारा लगा दी गयी,फिर भी फैसला आने के पहले वहा पर 1.5 लाख लोगो का इकठा हो जाना एक इतेफाक से कम नही है,जिस दिन फैश्ला आने वाला था उस दिन लगातार मीडिया रिपोर्टिंग हो रही थी,हरियाणा के मुख्यमंत्री कैमरे के सामने आकर लगातार लोगो से कह रहे थे की सुक्ष के पुरे इंतजाम है,और जैसे ही फैसला आता है उसके बाद जो हिंशा हुयी उसकी तस्वीर पूरा देश ने देखा,चारो ओर अफरा तफरी मची हुयी थी राम रहीम के गुंडों ने पूरा शहर आग के हवाले कर दिया,मीडिया को धोया,गाडियों में आग लगा दी,लगभग 40 लोग मर गये और हरियाणा सरकार शांति की अपील कर रही थी इसके आलावा न तो कोई एक्शन हुआ न तो कोई करवाई होयी,लोगो ने राम रहीम के प्रति सरकार की हमदर्दी को बहूत करीब से देखा,आखिर भारत जैसे देश में जहा पर एक ढोंगी बाबा सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर कर देता हो वहा पर एक न्यू इंडिया के बारे में सोचना हास्यपद लगता,इस देश की सरकारे जब तक अपने वोट के ऊपर देश को नही देखेगी तब तक ऐसी घटनाये हमेशा इस देश में होती रहेंगी,इसपर न तो कोई कड़ी करवाई हुयी नही कोई एक्शन लिया गया,ऊपर से घटना के कुछ दिन पहले हरियाणा सरकार के दो काबिल मंत्री राम रहीम के दरबार जाते है 51 लाख की दरबारी हाजरी लगाने,तो ये कहना सही नही है की बाबा को खुली छुट दी गयी थे ये सब करने के लिए?सरकार इस पर पूरी तरह विफल नजर आई?क्या मुख्यमंत्री को इसके लिए इस्तीफा नही दे देना चाहिए था?क्या केंद्र सरकार को इसके लिए हरियाणा सरकार को बर्खास्त नही कर देना चाहिए?तमाम बहुत सारे प्रश्न उठता है मन में,इस घटना कका एक उर पहलु है जिस पर जिक्र करे तो, एक ब्यान राम रहीम की बेटी का भी इसमें सामिल करते उसने साफ कहा है की हमारी सरकार से एक डील हुयी थी ”तुम हमे वोट दिलाओ और हम तुमपर से सारे केस हटा लेंगे” ,आखिर अब हमारे देश के न्याय पालिका के पास कौन सी मज़बूरी है जिसके चलेते इस पर कोई एक्शन नही लिया गया,क्या हमारा लोकतंत्र जो इस पुरे विस्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है ओ एक तानाशाही का रूप ले लिया है?क्या अब न्याय पालिका भी अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नही है?क्या सता के मद में सरकार इसका दमन कर रही है?आखिर आम लोगो के मन में हमेशा एक प्रश्न चिन्ह बन गया है,इसके लिए हरियाणा सरकार का उठाया कदम एक दम से कमजोर था या कहे तो हरियाणा सरकार का नेत्रित्व एक कमजोर इंसान के हाथ में है जिसका कोई माप दंड नही है,इसको समझना चाहिए कही न कही हम बेहतर बिकल्प की कोशिश में एक बहरी और गूंगी सरकार चुन बैठे है जो लोगो के उमीदो और विश्वास से खेल रही है,लोग इसका जबाब मांग रहे है,सायद आने वाला चुनाव एक बदलाव लेकर आएगा हम इसकी उमीद करे है,आखिर लोगो के भावनाओ से कब तक खेलेंगे लोग,इस देश का भविष्य बहूत तेजी से अंधकार की ओर की जा रहा है,यह एक गंभीर विषय है,इसपर हमे विचार करना चाहिए,
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